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NCERT Solutions for Class 9 Chhitij Part 1 Hindi Chapter 11 – Savaiye

सवैये

Exercise : Solution of Questions on page Number : 102


प्रश्न 1: ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम किन-किन रूपों में अभिव्यक्त हुआ है?
उत्तर : रसखान जी अगले जन्म में ब्रज के गाँव में ग्वाले के रूप में जन्म लेना चाहते हैं ताकि वह वहाँ की गायों को चराते हुए श्री कृष्ण की जन्मभूमि में अपना जीवन व्यतीत कर सकें। श्री कृष्ण के लिए अपने प्रेम की अभिव्यक्ति करते हुए वे आगे व्यक्त करते हैं कि वे यदि पशु रुप में जन्म लें तो गाय बनकर ब्रज में चरना चाहते हैं ताकि वासुदेव की गायों के बीच घूमें व ब्रज का आनंद प्राप्त कर सकें और यदि वह पत्थर बने तो गोवर्धन पर्वत का ही अंश बनना चाहेंगे क्योंकि श्री कृष्ण ने इस पर्वत को अपनी अगुँली में धारण किया था। यदि उन्हें पक्षी बनने का सौभाग्य प्राप्त होगा तो वहाँ के कदम्ब के पेड़ों पर निवास करें ताकि श्री कृष्ण की खेल क्रीड़ा का आनंद उठा सकें। इन सब उपायों द्वारा वह श्री कृष्ण के प्रति अपने प्रेम की अभिव्यक्ति करना चाहते हैं।


प्रश्न 2: कवि का ब्रज के वन, बाग और तालाब को निहारने के पीछे क्या कारण हैं?
उत्तर : रसखान जी श्री कृष्ण से प्रेम करते हैं। जिस वन, बाग और तालाब में श्री कृष्ण ने नाना प्रकार की क्रीड़ा की है, उन्हें निहारते रहना चाहते हैं। ऐसा करके उन्हें अमिट सुख प्राप्त होता है। ये सुख ऐसा है जिस पर संसार के समस्त सुखों को न्योछावर किया जा सकता है। इनके कण-कण में श्री कृष्ण का ही वास है ऐसा रसखान को प्रतीत होता है और इस दिव्य अनुभूति को वे त्यागना नहीं चाहते। इसलिए इन्हें निहारते रहते हैं। इनके दर्शन मात्र से ही उनका हृदय प्रेम से गद-गद हो जाता है।


प्रश्न 3 : एक लकुटी और कामरिया पर कवि सब कुछ न्योछावर करने को क्यों तैयार है?
उत्तर : श्री कृष्ण रसखान जी के आराध्य देव हैं। उनके द्वारा डाले गए कंबल और पकड़ी हुई लाठी उनके लिए बहुत मूल्यवान है। श्री कृष्ण लाठी व कंबल डाले हुए ग्वाले के रुप में सुशोभित हो रहे हैं। जो कि संसार के समस्त सुखों को मात देने वाला है और उन्हें इस रुप में देखकर वह अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार हैं। भगवान के द्वारा धारण की गई वस्तुओं का मूल्य भक्त के लिए परम सुखकारी होता है।


प्रश्न 4: सखी ने गोपी से कृष्ण का कैसा रूप धरण करने का आग्रह किया था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर : वह गोपी को श्री कृष्ण के मोहित रुप को धारण करने का आग्रह करती है जिसमें श्री कृष्ण पीताम्बर डाल हाथ में लाठी लिए हुए सिर पर मोर मुकुट व गले में रत्तियों की माला पहने हुए रहते हैं। उसी रुप में वह दूसरी गोपी को देखना चाहती है ताकि उसके द्वारा धारण किए श्री कृष्ण के रुप में वह उनके दर्शनों का सुख प्राप्त कर अपने प्राणों की प्यास को शांत कर सके।


प्रश्न 5 : आपके विचार से कवि पशु, पक्षी और पहाड़ के रूप में भी कृष्ण का सान्निध्य क्यों प्राप्त करना चाहता है?
उत्तर : श्रीकृष्ण कवि के आराध्य देव हैं। वे सदैव उनका सान्निध्य चाहता है। पहाड़ को अपनी अंगुली में उठाकर कृष्ण ने उसे अपने समीप रखा था। पशु-पक्षी सदैव कृष्ण के प्रिय रहे हैं। अतः वे इनके माध्यम से सरलतापूर्वक भगवान श्रीकृष्ण का सान्निध्य प्राप्त कर सकता है। इनके माध्यम से अपने आराध्य देव की लीलाओं का रसपान कर सकता है। अन्य साधनों से प्रभु का साथ मिल पाने में कठिनाई हो सकती है परन्तु इनके माध्यम से सरलतापूर्वक प्रभु का सान्निध्य मिल जाएगा। इसलिए वे पशु, पक्षी तथा पहाड़ बनकर ही प्रभु का सान्निध्य चाहता है।


प्रश्न 6 : चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने आप को क्यों विवश पाती हैं?
उत्तर : श्री कृष्ण जी की मुरली की धुन व मुस्कान उनको लोक-लाज त्यागने पर विवश कर देती है। जिसके कारण वो सब अपने-अपने घरों की अटारी पर चढ़ जाती हैं, उन्हें अपनी परिस्थिति का ध्यान नहीं रहता न ही अपने माता-पिता का भय रहता है। वो अपना मान-सम्मान त्याग कर बस श्री कृष्ण की बाँसुरी की धुन ही सुनती रहती हैं व उनकी मुस्कान पर अपना सब कुछ न्योछावर कर देती हैं। अपनी इसी विविधता पर वह सब परेशान हैं।


प्रश्न 7 : भाव स्पष्ट कीजिए –
(क) कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।
(ख) माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै।
उत्तर : (क) भाव यह है कि रसखान जी ब्रज की काँटेदार झाड़ियों व कुंजन पर सोने के महलों का सुख न्योछावर कर देना चाहते हैं। अर्थात् जो सुख ब्रज की प्राकृतिक सौंदर्य को निहारने में है वह सुख सांसारिक वस्तुओं को निहारने में दूर-दूर तक नहीं है।
(ख) भाव यह है कि श्री कृष्ण की मुस्कान इतनी मोहनी व अद्भुत है कि गोपियाँ स्वयं को संभाल नहीं पाती। अर्थात् उनकी मुस्कान में वे इस तरह से मोहित हो जाती हैं कि लोक-लाज का भय उनके मन में रहता ही नहीं है और वह श्री कृष्ण की तरफ़ खींचती जाती हैं।


प्रश्न 8 :‘ कालिंदी कूल कदंब की डारन’ में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर  : यहाँ पर ‘क’ वर्ण की एक से अधिक बार आवृत्ति हुई है इसलिए यहाँ अनुप्रास अलंकार है।


प्रश्न 9 : काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए –
या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी।
उत्तर :  इस छंद में गोपी अपनी दूसरी सखी से श्री कृष्ण की भाँति वेशभूषा धारण करने का आग्रह करती है। वह कहती है तू श्री कृष्ण की भाँति सिर पर मोर मुकुट व गले में गुंज की माला धारण कर, शरीर पर पीताम्बर वस्त्र पहन व हाथ में लाठी डाल कर मुझे दिखा ताकि मैं श्री कृष्ण के रूप का रसपान कर सकूँ। उसकी सखी उसके आग्रह पर सब करने को तैयार हो जाती है परन्तु श्री कृष्ण की मुरली को अपने होठों से लगाने को तैयार नहीं होती। उसके अनुसार उसको ये मुरली सौत की तरह प्रतीत होती है और वो अपनी सौत रुपी मुरली को अपने होठों से लगने नहीं देना चाहती।
यहाँ पर ‘ल’ वर्ण और ‘म’ वर्ण की एक से अधिक बार आवृत्ति हुई है इस कारण यहाँ अनुप्रास अलंकार है।छंद में सवैया छंद का प्रयोग हुआ है तथा ब्रज भाषा का सुंदर प्रयोग हुआ है जिससे छंद की छटा ही निराली हो जाती है। साथ में माधुर्य गुण का समावेश हुआ है।


 

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