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NCERT Solutions for Class 10 Sparsh Part 2 Hindi Chapter 1 – Saakhi

स्पर्श भाग -2 साखी  (निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए )

NCERT Solutions for Class 10 Sparsh Part 2 Hindi Chapter 1 – Saakhi


प्रश्न 1:मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता कैसे प्राप्त होती है
उत्तर: जब  भी हम मीठी वाणी बोलते हैं, तो उसका प्रभाव  चमत्कारिक होता  है। इससे सुनने वाले की आत्मा  तृप्त होती है  और मन प्रसन्न
होता है। उसके मन से क्रोध और घृणा के भाव नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही हमारा अंत:करण  भी प्रसन्न हो  जाता है। प्रभाव स्वरुप औरों
को सुख और शीतलता प्राप्त होती है।


प्रश्न 2:दीपक दिखाई देने पर अँधियारा कैसे मिट जाता है? साखी के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: गहरे  अंधकार में जब  दीपक जलाया जाता  है तो अँधेरा मिट जाता है और उजाला फैल जाता है। कबीरदास जी कहते हैं उसी
प्रकार ज्ञान रुपी दीपक जब हृदय में जलता है तो अज्ञान रुपी अंधकार मिट जाता है मन के विकार अर्थात संशयभ्रम आदि नष्ट हो जाते हैं। तभी उसे सर्वव्यापी ईश्वर की प्राप्ति भी होती है।


प्रश्न 3:  ईश्वर कण-कण में व्याप्त है, पर हम उसे क्यों नहीं देख पाते?
उत्तर:  
ईश्वर  सब ओर व्याप्त है। वह निराकार है। हमारा मन अज्ञानता,  अहंकारविलासिताओं  में डूबा है। इसलिए हम उसे नहीं देख पाते
हैं। हम उसे मंदिरमस्जिदगुरुद्वारा सब जगह ढूँढने की कोशिश करते हैं लेकिन जब हमारी अज्ञानता समाप्त होती है हम अंतरात्मा का दीपक जलाते हैं तो अपने ही अंदर समाया ईश्वर हम देख पाते हैं।


प्रश्न 4:संसार में सुखी व्यक्ति कौन है और दुखी कौन? यहाँ ‘सोना’ और ‘जागना’ किसके प्रतीक हैं? इसका प्रयोग यहाँ क्यों किया गया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: कवि के अनुसार संसार में वो लोग सुखी हैं, जो संसार में व्याप्त सुख-सुविधाओं का भोग करते हैं और दुखी वे हैं, जिन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई है। ‘सोना’ अज्ञानता का प्रतीक है और ‘जागना’ ज्ञान का प्रतीक है। जो लोग सांसारिक सुखों में खोए रहते हैं, जीवन के भौतिक सुखों में लिप्त रहते हैं वे सोए हुए हैं और जो सांसारिक सुखों को व्यर्थ समझते हैं, अपने को ईश्वर के प्रति समर्पित करते हैं वे ही जागते हैं। वे संसार की दुर्दशा को दूर करने के लिए चिंतित रहते हैं, सोते नहीं है अर्थात जाग्रत अवस्था में रहते हैं।


प्रश्न 5:अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने क्या उपाय सुझाया है
उत्तर: कबीर  का कहना है कि  हम अपने स्वभाव  को निर्मल,  निष्कपट  और सरल बनाए  रखना चाहते हैं  तो हमें अपने  आसपास निंदक रखने चाहिए ताकि  वे हमारी त्रुटियों को बता सके। निंदक हमारे सबसे अच्छे हितैषी होते हैं। उनके द्वारा बताए गए त्रुटियों को दूर करके हम
अपने स्वभाव को निर्मल बना सकते हैं।


प्रश्न 6: ‘ऐकै अषिर पीव का, पढ़ै सु पंडित होई’ −इस पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर:
इन पंक्तियों द्वारा कवि ने  प्रेम की महत्ता को बताया है। ईश्वर को पाने के लिए एक अक्षर प्रेम का अर्थात ईश्वर को पढ़
लेना ही पर्याप्त है। बड़े-बड़े पोथे या ग्रन्थ पढ़ कर भी हर कोई पंडित नहीं बन जाता। केवल परमात्मा का नाम स्मरण करने से ही सच्चा ज्ञानी बना जा सकता है। अर्थात ईश्वर को पाने के लिए सांसारिक लोभ माया को छोड़ना पड़ता है।


प्रश्न 7: कबीर की उद्धृत साखियों की भाषा की विशेषता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:कबीर ने अपनी साखियाँ सधुक्कड़ी भाषा में लिखी है। इनकी भाषा मिलीजुली है। इनकी साखियाँ संदेश देने वाली होती हैं। वे जैसा बोलते थे वैसा ही लिखा है। लोकभाषा का भी प्रयोग हुआ है;जैसे– खायैनेगमुवाजाल्याआँगणि आदि भाषा में लयबद्धताउपदेशात्मकताप्रवाह,
 सहजतासरलता शैली है।


प्रश्न 8: बिरह भुवंगम तन बसै, मंत्र न लागै कोइ।
उत्तर: इस कविता का भाव है कि जिस व्यक्तिके हृदय में ईश्वर के प्रति प्रेम रुपी विरह का सर्प बस जाता है, उस पर कोई मंत्र असर नहीं करता है। अर्थात भगवान के विरह में कोई भी जीव सामान्य नहीं रहता है। उस पर किसी बात का कोई असर नहीं होता है।


प्रश्न 9: भाव स्पष्ट कीजिए−
कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढै बन माँहि।

उत्तर:  इस  पंक्ति में कवि  कहता है कि जिस  प्रकार हिरण  अपनी नाभि से आती सुगंध पर  मोहित रहता है  परन्तु वह यह  नहीं जानता कि  यह सुगंध उसकी नाभि में से आ  रही है। वह उसे  इधर-उधर ढूँढता रहता है। उसी प्रकार  मनुष्य भी अज्ञानतावश वास्तविकता को नहीं जानता कि ईश्वर उसी में निवास करता है और उसे प्राप्त करने के लिए धार्मिक स्थलों, अनुष्ठानों में ढूँढता रहता है।


प्रश्न 10: भाव स्पष्ट कीजिए−
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।

उत्तर: इस पंक्ति द्वारा कवि का कहना है कि जब तक मनुष्य में अज्ञान रुपी  अंधकार छाया है वह ईश्वर को नहीं पा सकता। अर्थात अहंकार और ईश्वर का  साथसाथ रहना नामुमकिन है। यह भावना दूर होते ही वह ईश्वर को पा लेता है।


प्रश्न 11: भाव स्पष्ट कीजिए−
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा, पंडित भया न कोइ।

उत्तर: कवि के अनुसार बड़े ग्रंथशास्त्र पढ़ने भर से कोई ज्ञानी नहीं होता। अर्थात ईश्वर की प्राप्ति नहीं कर पाता।प्रेम से इश्वर का स्मरण करने से ही उसे प्राप्त किया जा सकता है। प्रेम में बहुत शक्ति होती है।


प्रश्न 12:  पाठ  में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रुप उदाहरण के अनुसार लिखिए।
उदाहरण−  जिवैजीना
औरन, माँहि, देख्या, भुवंगम, नेड़ा, आँगणि, साबण, मुवा, पीव, जालौं, तास।

उत्तर:
जिवैजीना
औरनऔरों को
माँहि के अंदर (में)
देख्यादेखा
भुवंगमसाँप
नेड़ानिकट
आँगणिआँगन
साबणसाबुन
मुवामुआ
पीवप्रेम
जालौंजलना
तास उसका


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