स्पर्श भाग -2 पर्वत प्रदेश के पावत (निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए )

NCERT Solutions for Class 10 Sparsh Part 2 Hindi Chapter 5 – Parvat Pardesh ke Paavat


प्रश्न 1:  पावस ऋतु में प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन आते हैं? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:  वर्षा  ऋतु में मौसम  बदलता रहता है।  तेज़ वर्षा होती  है। जल पहाड़ों  के नीचे इकट्ठा  होता है तो दर्पण  जैसा लगता है।  पर्वत मालाओं
पर अनगिनत फूल  खिल जाते हैं।  ऐसा लगता है कि  अनेकों नेत्र  खोलकर पर्वत  देख रहा है।  पर्वतों पर बहते  झरने मानो उनका  गौरव गान गा रहे  हैं। लंबेलंबे  वृक्ष आसमान  को निहारते  चिंतामग्न दिखाई दे रहे हैं।  अचानक कालेकाले  बादल घिर आते  हैं। ऐसा लगता  है मानो बादल रुपी पंख लगाकर पर्वत उड़ना चाहते हैं। कोहरा धुएँ जैसा लगता है। इंद्र देवता बादलों के यान पर बैठकर नएनए जादू दिखाना चाहते हैं।


प्रश्न 2:  ‘मेखलाकार’  शब्द का क्या अर्थ है?  कवि ने इस शब्द का प्रयोग यहाँ क्यों किया है?
उत्तर:
 मेखलाकार  का अर्थ है गोल,  जैसे  कमरबंध।  यहाँ इस शब्द  का प्रयोग पर्वतों  की श्रृंखला  के लिए किया गया  है। ये पावस ऋतु
में दूरदूर  तक गोल आकृति  में फैले हुए हैं।


प्रश्न 3:  ‘सहस्र  दृग-सुमन’  से  क्या तात्पर्य  है?  कवि  ने इस पद का प्रयोग  किसके लिए किया  होगा?
उत्तर:  
पर्वतों  पर हज़ारों  रंग-बिरंगे  फूल खिले हुए  हैं। कवि को पहाड़ों पर खिले हज़ारों फूल पहाड़ की आँखों के समान लगते हैं। ये नेत्र
अपने सुंदर विशालकाय आकार को नीचे तालाब के जल रुपी दर्पण में आश्चर्यचकित हो निहार रहे हैं।


प्रश्न 4: कवि ने तालाब की समानता किसके साथ दिखाई है और क्यों?
उत्तर:  कवि  ने तालाब की समानता दर्पण से की है। जिस  प्रकार दर्पण से प्रतिबिंब स्वच्छ व स्पष्ट दिखाई देता है, उसी प्रकार तालाब
का जल स्वच्छ और निर्मल होता है। पर्वत अपना  प्रतिबिंब दर्पण  रुपी तालाब के जल में देखते हैं।


प्रश्न 5:  पर्वत  के हृदय से उठकर  ऊँचे-ऊँचे  वृक्ष आकाश की  और क्यों देख  रहे थे और वे  किस बात को  प्रतिबिंबित  करते हैं?
उत्तर:
 ऊँचे-ऊँचे  पर्वत पर उगे  वृक्ष आकाश की  ओर देखते चिंतामग्न  प्रतीत हो रहे  हैं। जैसे वे  आसमान की ऊचाइयों  को छूना चाहते  हैं। इससे मानवीय  भावनाओं को  बताया गया है  कि मनुष्य सदा  आगे बढ़ने का  भाव अपने मन में  रखता है।


प्रश्न 6:  शाल  के वृक्ष भयभीत  होकर धरती में  क्यों धँस गए?
उत्तर:
 आसमान  में अचानक बादलों  के छाने से मूसलाधार  वर्षा होने लगी।  वर्षा की भयानकता  और धुंध से शाल  के वृक्ष भयभीत  होकर धरती में  धँस गए प्रतीत  होते हैं।


प्रश्न 7: झरने  किसके गौरव का  गान कर रहे हैं?  बहते हुए  झरने की तुलना  किससे की गई है?
उत्तर:  झरने  पर्वतों की ऊँची  चोटियों से  झरझर  करते बह रहे  हैं। ऐसा लगता  है मानो वे पर्वतों  की महानता की  गौरव गाथा गा रहे हों।


प्रश्न 8:  भाव  स्पष्ट कीजिए  −
है  टूट पड़ा भू पर  अंबर।

उत्तर:  सुमित्रानंदन  पंत जी ने इस  पंक्ति में  पर्वत प्रदेश  के मूसलाधार  वर्षा का वर्णन  किया है। पर्वत  प्रदेश में पावस  ऋतु में प्रकृति
की छटा निराली हो जाती है। कभीकभी इतनी धुआँधार वर्षा होती है मानो आकाश टूट पड़ेगा।


प्रश्न 9: भाव स्पष्ट कीजिए −
−यों  जलद-यान  में विचर-विचर  था

इंद्र खेलता  इंद्रजाल।
उत्तर:  कभी  गहरे बादलकभी  तेज़ वर्षा और  तालाबों से उठता  धुआँ −  यहाँ वर्षा ऋतु  में पलपल  प्रकृति वेश  बदल जाता है।  यह सब दृश्य
देखकर ऐसा प्रतीत  होता है कि जैसे बादलों के विमान  में विराजमान  राजा इन्द्र विभिन्न प्रकार के जादुई खेलखेल रहे हों।


प्रश्न 10:  भाव  स्पष्ट कीजिए  −
गिरिवर  के उर से उठ-उठ  कर

उच्चाकांक्षाओं  से तरुवर  हैं
झांक रहे नीरव  नभ पर
 अनिमेष, अटल, कुछ चिंतापर।
उत्तर:  इन पंक्तियों का भाव यह है कि पर्वत पर उगे विशाल वृक्ष ऐसे लगते हैं मानो इनके हृदय में अनेकों महत्वकांक्षाएँ हैं और ये चिंतातुर आसमान को देख रहे हैं।


प्रश्न 11:  इस  कविता में मानवीकरण  अलंकार का प्रयोग  किया गया है?  स्पष्ट  कीजिए।
उत्तर:  प्रस्तुत  कविता में जगहजगह  पर मानवीकरण  अलंकार का प्रयोग  करके प्रकृति  में जान डाल दी  गई है जिससे  प्रकृति सजीव  प्रतीत हो रही  है;
जैसे −पर्वत पर उगे  फूल को आँखों के द्वारा मानवकृत कर उसे सजीव प्राणी की तरह प्रस्तुत किया गया है। “उच्चाकांक्षाओं से तरूवर हैं झाँक रहे नीरव नभ पर ” इन पंक्तियों में तरूवर के झाँकने में मानवीकरण अलंकार हैमानो कोई व्यक्ति झाँक रहा हो।


प्रश्न 12: आपकी दृष्टि में इस कविता का सौंदर्य इनमें से किस पर निर्भर करता है −
(क) अनेक शब्दों की आवृति पर
(ख) शब्दों की चित्रमयी भाषा पर
(ग) कविता की संगीतात्मकता पर
उत्तर:
(ख) शब्दों की चित्रमयी  भाषा पर ✓
इस कविता का सौंदर्य शब्दों की चित्रमयी भाषा पर निर्भर करता है। कविता में चित्रात्मक शैली का प्रयोग करते हुए प्रकृति का सुन्दर रुप
प्रस्तुत किया गया है।


प्रश्न 13: कवि ने चित्रात्मक शैली का प्रयोग करते हुए पावस ऋतु का सजीव चित्र अंकित किया है। ऐसे स्थलों को छाँटकर लिखिए।
उत्तर:   कवि ने चित्रात्मक शैली का प्रयोग करते हुए पावस ऋतु का सजीव चित्र अंकित किया है। कविता में इन स्थलों पर चित्रात्मक शैली की छटा बिखरी हुई है-
1. मेखलाकार पर्वत अपार
अपने सहस्र दृग-सुमन फाड़,
अवलोक रहा है बार-बार
नीचे जल में निज महाकार
जिसके चरणों में पला ताल
दर्पण फैला है विशाल!
2. गिरिवर के उर से उठ-उठ कर
उच्चाकांक्षाओं से तरुवर
हैं झाँक रहे नीरव नभ पर
अनिमेष, अटल, कुछ चिंतापर।