छितिज भाग -2 भदंत आनंद कौसल्यायन


प्रश्न 1:  लेखक  की  दृष्टि में  ‘सभ्यता’  और  ‘संस्कृति’  की  सही समझ  अब तक  क्यों  नहीं  बन  पाई  है?
उत्तर:  लेखक की दृष्टि में दो शब्द सभ्यता और संस्कृति की सही समझ अभी भी नहीं हो पाई है; क्योंकि इनका उपयोग बहुत अधिक होता है और वो भी किसी एक अर्थ में नहीं होता है। इनके साथ अनेक विशेषण लग जाते हैं; जैसे – भौतिक-सभ्यता और आध्यात्मिक-सभ्यता इन विशेषणों के कारण शब्दों का अर्थ बदलता रहता है। इससे यह समझ में नहीं आता कि यह एक ही चीज है अथवा दो? यदि दो है तो दोनों में क्या अंतर है? इसी कारण लेखक इस विषय पर अपनी कोई स्थायी सोच नहीं बना पा रहे हैं।


प्रश्न 2:  आग  की  खोज  एक  बहुत  बड़ी  खोज  क्यों  मानी जाती  है? इस  खोज  के  पीछे  रही प्रेरणा के मुख्य  स्रोत  क्या  रहे  होंगे?
उत्तर:  आग का आविष्कार अपने-आप में एक बहुत बड़ा अविष्कार हुआ होगा। क्योंकि उस समय मनुष्य में बुद्धि शक्ति का अधिक विकास नहीं हुआ था। समय की दृष्टि से यह बहुत बड़ी खोज थी।
सम्भवत: आग की खोज का मुख्य कारण रौशनी की ज़रुरत तथा पेट की ज्वाला रही होगी। अंधेरे में जब मनुष्य कुछ नहीं देख पा रहा था तब उसे रौशनी की ज़रुरत महसूस हुई होगी, कच्चा माँस का स्वाद अच्छा न लगने के कारण उसे पका कर खाने की इच्छा से आग का आविष्कार हुआ होगा।


प्रश्न 3: वास्तविक अर्थों ‘संस्कृत व्यक्ति’ किसे कहा जा सकता है?
उत्तर:  वास्तविक अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ उसे कहा जा सकता है जिसमें अपनी बुद्धि तथा योग्यता के बल पर कुछ नया करने की क्षमता हो। जिस व्यक्ति में ऐसी बुद्धि तथा योग्यता जितनी अधिक मात्रा में होगी वह व्यक्ति उतना ही अधिक संस्कृत होगा। जैसे-न्यूटन, न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का आविष्कार किया। वह संस्कृत मानव था। आज भौतिक विज्ञान के विद्यार्थियों को इस विषय पर न्यूटन से अधिक सभ्य कह सकते हैं, परन्तु संस्कृत नहीं कह सकते।


प्रश्न 4:  न्यूटन  को  संस्कृत  मानव  कहने के  पीछे  कौन  से तर्क  दिए  गए  हैं?  न्यूटन द्वारा  प्रतिपादित  सिद्धांतो  एवं  ज्ञान  की  कई  दूसरी
बारीकियों  को  जानने वाले लोग  भी  न्यूटन  की तरह  संस्कृत  नहीं कहला  सकते,  क्यों?
उत्तर:  न्यूटन ने अपनी बुद्धि-शक्ति से गुरत्वाकर्षण के रहस्य की खोज की इसलिए उसे संस्कृत मानव कह सकते हैं। आज मनुष्य के पास भले ही इस विषय पर अधिक जानकारी होगी पर उसमें वो बुद्धि शक्ति नहीं है जो न्यूटन के पास थी वह केवल न्यूटन द्वारा दी गई जानकारी को बढ़ा रहा है। इसलिए वह न्यूटन से अधिक सभ्य है, संस्कृत नहीं।


प्रश्न 5:  किन  महत्वपूर्ण  आवश्यकताओं की  पूर्ति  के  लिए  सुई-धागे  का आविष्कार हुआ होगा?
उत्तर:  सुई-धागे का आविष्कार शरीर को ढ़कने तथा सर्दियों में ठंड से बचने के उद्देश्य से हुआ होगा। कपड़े के दो टुकडों को एक करके जोड़ने के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा।


प्रश्न 6:  मानव संस्कृत एक अविभाज्य वस्तु है। किन्हीं दो प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जब –
(क) मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गई।
(ख) जब मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया।
उत्तर:
(क) मानव संस्कृति को विभाजित करने की निम्नलिखित चेष्टाएँ की गईं –
(1) जब मानव संस्कृति को धर्म के नाम पर विभाजित करने की चेष्टा की गई; जिसका परिणाम हिंदुस्तान तथा पाकिस्तान नामक दो देश है।
(2) मुस्लिम जब गौ हत्या करते हैं तो हिंदू धर्म का अपमान होता है तथा हिंदू जब मुसलमानों के मस्जिद को तोड़ने का प्रयास करते हैं तो मुस्लिम धर्म का अपमान होता है।
(ख) मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण भी दिया है –
(1) संसार के मज़दुरों को सुखी देखने के लिए कार्ल मार्क्स ने अपना सारा जीवन दुख में बिता दिया।
(2) सिद्धार्थ ने अपना घर केवल मानव कल्याण के लिए छोड़ दिया।


प्रश्न 7: आशय स्पष्ट कीजिए –
(क) मानव की जो योग्यता उससे आत्म-विनाश के साधनों का आविष्कार कराती है, हम उसे उसकी संस्कृति कहें या असंस्कृति?
उत्तर:
(क) संस्कृति का अर्थ केवल आविष्कार करना नहीं है। यह आविष्कार जब मानव कल्याण की भावना से जुड़ जाता है, तो हम उसे संस्कृति कहते हैं। जब आविष्कार करने की योग्यता का उपयोग विनाश करने के लिए किया जाता है तब यह असंस्कृति बन जाती है।


प्रश्न 8:  लेखक ने अपने दृष्टिकोण से सभ्यता और संस्कृति की एक परिभाषा दी है। आप सभ्यता और संस्कृति के बारे में क्या सोचते हैं, लिखिए।
उत्तर:  जैसा कि लेखक ने कहा है कि आज सभ्यता और संस्कृति का प्रयोग अनेक अर्थों में किया जाता है। मनुष्य के रहन-सहन का तरीका सभ्यता के अंतर्गत आता है। संस्कृति जीवन का चिंतन और कलात्मक सृजन है, जो जीवन को समृद्ध बनाती है। सभ्यता को संस्कृति का विकसित रुप भी कह सकते हैं।


प्रश्न 9: निम्नलिखित सामासिक पदों का विग्रह करके समास का भेद भी लिखिए –

गलत-सलत

आत्म-विनाश

महामानव

पददलित

हिंदू-मुसलिम

यथोचित

सप्तर्षि

सुलोचना

उत्तर:

(1) गलतसलत – गलत और सलत (द्वंद समास)

(2) महामानव – महान है जो मानव (कर्म धारय समास)

(3) हिंदूमुसलिम – हिंदू और मुसलिम (द्वंद समास)

(4) सप्तर्षि – सात ऋषियों का समूह (द्विगु समास)

(5) आत्मविनाश – आत्मा का विनाश (तत्पुरुष समास)

(6) पददलित – पद से दलित (तत्पुरुष समास)

(7) यथोचित – जो उचित हो (अव्ययीभाव समास)

(8) सुलोचना – सुंदर लोचन है जिसके (कर्मधारय समास)