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NCERT Solutions for Class 8 Roochira Part 03 Sanskrit Chapter 04 – Sadaiv puro nidhehee charanam (lot-vidiling-prayog :)

Class 8 Sanskrit Chapter 4 – सदैव पुरतो निधेहि चरणम् (लोट्-विधिलिङ्ग-प्रयोग:)

Exercise : Solution of Questions on page Number : 25


प्रश्न 2:

अधोलिखितानां प्रश्नानाम्‌ उत्तराणि एकपदेन लिखत-

(क) स्वकीयं साधनं किं भवति?
(ख) पथि के विषमा: प्रखरा:?
(ग) सततं किं करणीयम्‌?
(घ) एतस्य गीतस्य रचयिता क:?
(ङ) स: कीदृश: कवि: मन्यते?

उत्तर 2:

(क) बलम्।
(ख) पाषाणा:।
(ग) ध्येय स्मरणम्।
(घ) श्रीधर भास्कर वर्णेकर:।
(ङ) राष्ट्रवादी।


प्रश्न 3:
मञ्जूषात: क्रियापदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-
निधेहि विधेहि जहीहि देहि भज चल कुरु
यथा-त्वं पुरत: चरणं निधेहि।
(क) त्वं विद्यालयं ——————–।
(ख) राष्ट्रे अनुरक्तिं ——————–।
(ग) मह्‌यं जलं ——————–।
(घ) मूढ! ——————– धनागमतृष्णाम्‌।
(ङ) ——————– गोविन्दम्‌।
(च) सततं ध्येयस्मरणं ——————– ।
उत्तर 3:

(क) त्वं विद्यालयं चल।
(ख) राष्ट्रे अनुरक्तिं विधेहि।
(ग) मह्‌यं जलं देहि।
(घ) मूढ! जहीहि धनागमतृष्णाम्‌।
(ङ) भज गोविन्दम्‌।
(च) सततं ध्येयस्मरणं कुरु।


Exercise : Solution of Questions on page Number : 26


प्रश्न 4:
मञ्जूषात: अव्ययपदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-
एव खलु तथा परित: पुरत: सदा विना
(क) विद्यालयस्य ——————– एकम्‌ उद्यानम्‌ अस्ति।
(ख) सत्यम्‌ ——————– जयते।
(ग) किं भवान्‌ स्नानं कृतवान्‌ ——————– ?
(घ) स: यथा चिन्तयति ——————– आचरति।
(ङ) ग्रामं ——————– वृक्षा: सन्ति।
(च) विद्यां ——————– जीवनं वृथा।
(छ) ——————– भगवन्तं भज।

उत्तर 4:

(क) विद्यालयस्य पुरत: एकम्‌ उद्यानम्‌ अस्ति।
(ख) सत्यम्‌ एव जयते।
(ग) किं भवान्‌ स्नानं कृतवान्‌ खलु?
(घ) स: यथा चिन्तयति तथा आचरति।
(ङ) ग्रामं परित: वृक्षा: सन्ति।
(च) विद्यां विना जीवनं वृथा।
(छ) सदा भगवन्तं भज।


प्रश्न 5:
विलोमपदानि योजयत-
पुरत:                   विरक्ति:
स्वकीयम्‌             आगमनम्‌
भीति:                  पृष्ठत:
अनुरक्ति:            परकीयम्‌
गमनम्‌                साहस:

उत्तर 5:

पुरत:                 पृष्ठत:।
स्वकीयम्‌            परकीयम्‌।
भीति:                साहस:।
अनुरक्ति:          विरक्ति:।
गमनम्‌               आगमनम्‌।


Exercise : Solution of Questions on page Number : 27


प्रश्न 6:
लट्लकारपदेभ्य: लोट्-विधिलिङ्लकारपदानां निर्माणं कुरुत-
लट्लकारे
लोट्लकारे
विधिलिङ्लकारे
यथा-पठति
   पठतु
पठेत्‌
खेलसि
………
………
खादन्ति
………
………
पिबामि
………
………
हसत:
………
………
नयाम:
………
………

उत्तर 6:

लट्लकारे लोट्लकारे विधिलिङ्लकारे
यथा-पठति    पठतु पठेत्‌
खेलसि खेल खेले:
खादन्ति खादन्तु खादेयु:
पिबामि पिबानि पिबेयम्
हसत:    हसताम् हसेताम्
नयाम: नयाम नयेम

प्रश्न 7:
यथा – गिरिशिखर (सप्तमी-एकवचने)
गिरिशिखर
पथिन्‌ (सप्तमी-एकवचने)
……..
राष्ट्र (चतुर्थी-एकवचने)
……..
पाषाण (सप्तमी-एकवचने)
……..
यान (द्वितीया-बहुवचने)
……..
शक्ति (प्रथमा-एकवचने)
……..
पशु (सप्तमी-बहुवचने
……..

उत्तर 7:

यथा – गिरिशिखर (सप्तमी-एकवचने) गिरिशिखर
पथिन्‌ (सप्तमी-एकवचने) पथि
राष्ट्र (चतुर्थी-एकवचने) राष्ट्राय
पाषाण (सप्तमी-एकवचने) पाषाणे
यान (द्वितीया-बहुवचने) यानानि
शक्ति (प्रथमा-एकवचने) शक्ति:
पशु (सप्तमी-बहुवचने पशुनाम

प्रश्न 8:

उचितकथनानां समक्षम्‌ ‘आम्‌’, अनुचितकथनानां समक्षं ‘न’ इति लिखत-
यथा पुरत: चरणं निधेहि। आम्‌
(क) निजनिकेतनं गिरिशिखरे अस्ति।
(ख)   स्वकीयं बलं बाधकं भवति।
(ग) पथि हिंस्रा: पशव: न सन्ति।
(घ) गमनं सुकरम्‌ अस्ति।
(ङ) सदैव अग्रे एव चलनीयम्‌।

उत्तर 8:

यथा पुरत: चरणं निधेहि। आम्‌
(क) निजनिकेतनं गिरिशिखरे अस्ति। –  न
(ख) स्वकीयं बलं बाधकं भवति।  न
(ग) पथि हिंस्रा: पशव: न सन्ति।  न
(घ) गमनं सुकरम्‌ अस्ति।  न
(ङ) सदैव अग्रे एव चलनीयम्‌।  आम्‌

 


Exercise : Solution of Questions on page Number : 28


प्रश्न 9:

वाक्यरचनया अर्थभेदं स्पष्टीकुरुत-
परित:     पुरत:
नग:        नाग:
आरोहणम्‌  अवरोहणम्‌
विषमा:    समा:

उत्तर 9:

परित: – ग्रामं परित: उद्यानम् अस्ति।
पुरत: – सत्यं पुरत: विजय अस्ति।
नग: – हिमालय: एक महान् नग: अस्ति।
नाग – शिव: नाग: धारयति।
आरोहणम्‌ – किञ्चित यात्री वसयाने आरोहणम् करोति।
अवरोहणम् − किञ्चिदपि वसयानात् अवरोहणम् करोति।
विषमा: – सन्मार्गा: विषमा: भवति।
समा: – कुमार्गा: समा: भवति।


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